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भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017’ (India State of Forest Report-ISFR)



चर्चा में क्यों?

12 फरवरी को ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017’ (India State of Forest Report-ISFR) जारी की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ वन क्षेत्र के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में है।
वनों पर मानवीय आबादी और मवेशियों की संख्या के बढ़ते दवाब के बावजूद भारत अपनी वन संपदा को संरक्षित रखने और उसे बढ़ाने में सफल रहा है।

पृष्ठभूमि
वर्ष 1987 से भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित किया जाता है। यह इस श्रेणी की 15वीं रिपोर्ट है।
रिपोर्ट में दी गई जानकारी देश की वन संपदा की निगरानी और उसके संरक्षण के लिये वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित प्रबंधन व्यवस्था और नीतियां तय करने में काफी सहायक है।
इस रिपोर्ट में वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लिये भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह रिसोर्स सेट-2 से प्राप्त आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट में सटीकता लाने के लिये आँकड़ों की जाँच हेतु वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत को दुनिया के उन 10 देशों में 8वाँ स्थान दिया गया है जहाँ वार्षिक स्तर पर वन क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा वृद्धि दर्ज की गई है।

ISFR 2017 से प्रमुख तथ्य

देश में वनों और वृक्षों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 8,02,088 वर्ग किमी. (24.39%)
भौगोलिक क्षेत्रफल में वनों का हिस्सा 7,08,273 वर्ग किमी. (21.54%)
वनों से आच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि 6778 वर्ग किमी.
वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि 1243 वर्ग किमी.
वनावरण और वृक्षावरण क्षेत्रफल में कुल वृद्धि 8021 वर्ग किमी. (1%)
भौगोलिक क्षेत्रफल में वनों और वृक्षावरण का हिस्सा 24.39%
वनों की स्थिति पर राज्यवार आँकड़े
% के संदर्भ में सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य
लक्षद्वीप 90.33%
मिज़ोरम 86.27%
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह 81.73%

सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले राज्य (वर्ग किमी.)

मध्य प्रदेश 77,414
अरुणाचल प्रदेश 66,964
छत्तीसगढ़ 55,547

वन क्षेत्रफल में वृद्धि वाले शीर्ष राज्य
आंध्र प्रदेश 2141 वर्ग किमी.
कर्नाटक 1101 वर्ग किमी.
केरल 1043 वर्ग किमी.

प्रमुख बिंदु

इस रिपोर्ट में सबसे उत्साहजनक संकेत घने वनों का बढ़ना है। रिपोर्ट में वनों को घनत्व के आधार पर तीन वर्गों-बहुत घने जंगल (Very Dense Forest-VDF), मध्यम घने जंगल (Moderately Dense Forest-MDF) और खुले जंगल (Open Forest -OF) में बाँटा गया है।

घने वन क्षेत्र वायुमंडल से सर्वाधिक मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड सोखने का काम करते हैं। घने वनों का क्षेत्र बढ़ने से खुले वनों का क्षेत्र भी बढ़ा है।
रिपोर्ट के ताजा आकलन के अनुसार देश के 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का 33% भू-भाग वनों से घिरा है।
इनमें से 7 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों जैसे- मिज़ोरम, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, नगालैंड, मेघालय और मणिपुर का 75% से अधिक भूभाग वनाच्छादित है।

जबकि त्रिपुरा, गोवा, सिक्किम, केरल, उत्तराखंड, दादरा नगर हवेली, छत्तीसगढ़ और असम का 33 से 75% के बीच का भू-भाग वनों से घिरा है। देश का 40% वनाच्छादित क्षेत्र 10 हज़ार वर्ग किलोमीटर या इससे अधिक के 9 बड़े क्षेत्रों के रूप में मौजूद है।

देश में मैंग्रोव वनस्पति का क्षेत्र 4921 वर्ग किमी. है, जिसमें वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में कुल 181 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
मैंग्रोव वनस्पति वाले सभी 12 राज्यों में पिछले आकलन की तुलना में सकारात्मक बदलाव देखा गया है। मैंग्रोव वनस्पति जैव विविधता में समृद्ध होती है जो कई तरह की पारिस्थितिकीय आवश्यकताओं को पूरा करती है।

रिपोर्ट के अनुसार देश में वाह्य वन एवं वृक्षावरण का कुल स्टॉक 582.377 करोड़ घन मीटर अनुमानित है, जिसमें से 421.838 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के अंदर है, जबकि 160.3997 करोड़ घन मीटर क्षेत्र वनों के बाहर है।
पिछले आकलन की तुलना में बाह्य एवं वृक्षावरण स्टॉक में 5.399 करोड़ घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 2.333 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के अंदर तथा 3.0657 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्र के बाहर हुई है। इस हिसाब से यह वृद्धि पिछले आकलन की तुलना में 3 करोड़ 80 लाख घन मीटर रही।

देश में बाँस के अंतर्गत कुल 1.569 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र आकलित किया गया है। वर्ष 2011 के आकलन की तुलना में देश में बाँस वाले कुल क्षेत्र में 17.3 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। बाँस के उत्पादन में वर्ष 2011 के आकलन की तुलना में 1.9 करोड़ टन की वृद्धि दर्ज हुई है।
सरकार ने वन क्षेत्र के बाहर उगाई जाने वाली बाँस को वृक्षों की श्रेणी से हटाने के लिये हाल ही में संसद में एक विधेयक पारित किया है। इससे लोग निजी भूमि पर बाँस उगा सकेंगे जिससे किसानों की आजीविका बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे देश में हरित आवरण भी बढ़ेगा और कार्बन सिंक बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी

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